रविवार, 9 मार्च 2008

मेहमान पक्षियों को भाने लगी है सांडी की आबोहवा : अंबरीश कुमार/ तारा पाटकर

पक्षी विहार, संडीला। बदलते मौसम और पर्यावरण असंतुलन के बावजूद सांडी पक्षी विहार में दूर देशों से आए पक्षियों का प्रवास काल बढ़ गया है। यह पर्यावरणविदों और वन्य जीव विशेषज्ञों के लिए खबर है। अभी तक उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाके और अन्य वन्य क्षेत्रों में अंधाधुंध कटाई व आम आदमी के बढ़ते दखल के चलते जीव- जंतुओं और पक्षियों का प्रवास प्रभावित हो रहा था। पहली बार चीन, साइबेरिया, श्रीलंका और यूरोपीय देशों से आने वाले मेहमान पक्षियों का मौसम और आबोहवा रास आने लगी है। लुप्तप्राय वन्य जीव परियोजना की वन संरक्षक ईवा शर्मा ने कहा- हमें भी यह उम्मीद नहीं थी कि परदेसी परिंदे अब तक यहां इस भारी तादाद में नजर आएंगे। वैसे तो पिछले सालों की तुलना में यहां इस बार पक्षी भी कई हजार अधिक आए। हालांकि जनवरी अंत तक मेहमान पक्षियों की संख्या दो लाख से ज्यादा थी, जो अब हजारों में है। लेकिन उनका अब तक यहां ठहरना भी बना हुआ है। सामान्य तौर पर 15 डिग्री सेल्यिस तक जा पहुंचने के बावजूद सांडी पक्षी विहार में अभी भी पक्षी जमे हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में 13 पक्षी विहार हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण समसपुर पक्षी विहार, लाख बहोसी पक्षी विहार, नबावगंज पक्षी विहार और सांडी पक्षी विहार हैं। हालांकि दूर देश से आए खूबसूरत पक्षियों का जमावड़ा कतरनियाघाट के गेरूवा नदी पर भी दिखता है। वहां पर शाम होते ही जैसे सूरज की किरणें मध्दिम पड़ती हैं तो डालफिन मछलियां ऊपर आकर जहां नृत्य करती नजर आती हैं वही सुर्खाब के खूबसूरत जोड़े हवा में उड़ते नजर आते हैं। पर सांडी पक्षी विहार का दृश्य उससे काफी अलग नजर आता है। तीन किलोमीटर क्षेत्र में फैली यहां की प्राचीन दहर झील में एक नहीं सैकड़ों प्रजातियों के मेहमान पक्षी पानी में कलाबाजियां करते नजर आते हैं। इन पक्षियों में 30 से 90 सेमी गहरे पानी में रहने वाले पिनटेल, गेडवाल, शावलर, कामनटील, ब्रह्माणी डक, कूट, काम्बडक, व्हिस्लिंग टील, ब्रांज विंग्स जैकाना, मेलार्ड, कामन टील, कामन पोचर्ड आते हैं जो देखने में बतख और मुर्गाबी से मिलते-जुलते हैं। नब्बे से 120 सेमी गहरे जल में रहने वाले डार्टर, स्रेक बर्ड, किंगफिशर, लिटिल ग्रेव व टर्न आदि पक्षियों को आकर्षक गोताखोरों में शुमार किया जाता है। ये मेहमान पक्षी जल की गहराई को देखकर ही अपना बसेरा तलाशते हैं।
प्रदेश के राज्य पक्षी सारस के यहां मौजूद 27 जोड़े भी मेहमान पक्षियों के बीच में अपनी अद्भुत छटा बिखेरते दिखते हैं। लंबी दूर तक जाने वाली उनकी तेज आवाज सबका ध्यान बरबस अपनी तरफ खींच लेती है। संसार के सबसे विशाल पक्षी के रूप में चर्चित सारस जोड़ों ने यहां अंडे भी दिए हैं। सारस के विभिन्न जोड़े यहां प्रणय मुद्रा में नृत्य करते हुए नजर आते हैं। इस वर्ष जनवरी के आखिरी हफ्ते तक करीब ढाई लाख मेहमान पक्षियों ने सांडी पक्षी विहार को अपना आशियाना बना रखा था। फरवरी से इनकी संख्या में कमी आना शुरू हुई। जैसे- जैसे इनकी संख्या में कमी आनी शुरू हुई। जैसे-जैसे पारा चढ़ता जाएगा, मेहमान पक्षी अपने वतन लौटते जाएंगे। हालांकि इनमें से कुछ वे बदनसीब भी हैं जो लौट नहीं पाए क्योंकि कुछ का छुटपुट शिकार भी गांव वाले कर डालते हैं। विदेशी पक्षी आमतौर पर बाजार में नहीं उपलब्ध हैं लिहाजा इनके शौकीन लोग गांव वालों की मार्फत इनका शिकार करते हैं। आमतौर पर गांव वाले कमल के पत्तों पर हल्के किस्म का जहर रख देते हैं, िजसे खाकर ये बेहोश हो जाते हैं, जिसके बाद इन्हें पकड़कर लोग ले जाते हैं। खास बात यह है कि ये पक्षी संरक्षित पक्षियों की श्रेणी में नहीं हैं, जिसके चलते इनके छुटपुट शिकार को लेकर कोई खास हो-हल्ला नहीं मचता है।
इस समय भी सांडी पक्षी विहार में 25 हजार से ज्यादा मेहमान पक्षियों का जमावड़ा आम लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी लुभा रहा है। हालांकि पर्यटकों के लिए कोई खास आवासीय सुविधा नहीं है। यहां जंगलात विभाग का एक गेस्ट हाउस मौजूद है, जिसमें दो बेडरूम का एक कमरा उपलब्ध है। सांडी पक्षी विहार में विभिन्न पक्षियों की तरफ इशारा करे हुए वन संरक्षक ईवा शर्मा ने आगे कहा- यहां जितने प्रकार के मेहमान पक्षी एक साथ देखने को मिलते हैं, अन्य किसी स्थान पर दिखना मुश्किल है। इनका संरक्षण और इनकी देखभाल हमारे लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इनकी पेट्रोलिंग के लिए हमने यहां कई फारेस्ट गार्ड तैनात किए हैं, जो दूरबीन के सहारे पूरे क्षेत्र पर नजर रखते हैं। इसके अलावा जलकुंभी भी झील से हटवाई गई है ताकि इन मेहमान पक्षियों को जलक्रीड़ा और मौजमस्ती करने में कोई दिक्कत न हो।

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