मंगलवार, 29 जुलाई 2008

मुनाफा नहीं, पर्यावरण है सुजलॉन का मकसद

कारोबार बढ़ाने के लिए कंपनी का संचालन कारोबारी घरानों नहीं बल्कि अमेरिकी या यूरोपीय मॉडल पर होगा

ब्लूमबर्ग



पुणे में कंक्रीट की पांच मंजिला इमारत में अचानक बिजली चली जाती है और अंधेरा हो जाता है। लगभग 30 सेकंड बाद बैकअप जेनरेटर चालू होता है और लाइट जलती है।


यह नजारा है दुनिया की शीर्ष पांच टरबाइन निर्माता कंपनियों में से एक भारतीय कंपनी सुजलॉन के मुख्यालय का। कंपनी के संस्थापक तुलसी तांती ने कहा 'हमारे लिए तो यह रोज का काम है। देश में अपने कारोबार को बढ़ावा देने के लिए आपको देश में मौजूद संसाधनों की सीमाओं को जानना पड़ता है।'

50 वर्षीय तांती ने एक दशक पहले बिजली की कटौती और इसकी बढ़ती कीमतों से जूझती हुई भारतीय कंपनियों को पवन चक्कियों की आपूर्ति करना शुरू किया था। वर्ष 1993 में गुजरात में अपनी टेक्सटाइल कंपनी के बढ़ते बिजली बिल को कम करने के लिए दो पवन चक्कियां खरीदी थी। तांती ने कहा, 'दो साल में ही हमें इस क्षेत्र में मौजूद आर्थिक संभावनाओं का अंदाजा हो गया था। तब हमने इसी क्षेत्र पर ध्यान देने के बारे में सोचा।'

साल 1995 में सुजलॉन की स्थापना हुई और आज सुजलॉन इस क्षेत्र में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी कंपनी है। विंड टरबाइन निर्माता कंपनियों के लिए मांग के साथ तालमेल बिठाना काफी मुश्किल हो रहा है। कच्चे तेल की कीमत 147 डॉलर प्रति बैरल होने से और लगातार बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से विंड टरबाइनों की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है।

चीनी बाजार पर नजर


पिछले साल चीन की सरकार ने साल 2020 तक देश की कुल ऊर्जा खपत का लगभग 15 फीसदी पवन ऊर्जा के जरिये किया जाए। जनवरी में यूरोपीय संघ ने भी कार्बन रहित ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाकर 2020 तक 20 फीसदी करने की मंजूरी दी थी। साल 2005 तक यह आंकड़ा 6 फीसदी ही था। साफ सुथरी ऊर्जा के इस्तेमाल के निर्देशों का पालन करने के लिए लगभग सभी कंपनियां अब पवन ऊर्जा के इस्तेमाल को तरजीह दे रही हैं। कंपनी इस बाजार में मौजूद संभावनाओं को भुनाना चाहती है।

फर्श से अर्श तक


गेहूं की खेती करने वाले किसान के घर पैदा हुए तुलसी तांती और यूबी समूह के चेयरमैन विजय माल्या में कुछ समानताएं हैं। हाई स्कूल के बाद तुलसी ने एक सरकारी पॉलीटेक्नीक संस्थान से इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा लिया। साल 2005 में सुजलॉन का आईपीओ आने के बाद तांती और उनके परिवार की कुल संपत्ति लगभग 95 अरब रुपये की हो गई है।

लेकिन इन सबके बावजूद तांती चकाचौंध से दूर रहते हैं। सुजलॉन के चेयरमैन पुणे में अपनी पत्नी के साथ चार बैडरूम वाले अपार्टमेंट में रहते हैं। जहां पर 4,000 वर्ग फीट जमीन की कीमत लगभग 6 करोड़ रुपये है। उनसे छोटे तीन भाई सुजलॉन में कार्यकारी हैं और इसी इमारत के दूसरे अपार्टमेंट में रहते हैं। पुणे में अपने छोटे से दफ्तर से तांती बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ते हुए खतरे को देखते हुए अपनी कंपनी का विकास और तेजी से करने की कोशिश कर रहे हैं।

सुजलॉन के दुनिया भर में लगभग 13,000 कर्मचारी हैं और कंपनी उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और चीन में उत्पादों का निर्यात करती है। कंपनी की योजना साल 2013 तक वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी 25 फीसदी करने की है। इसके साथ ही कंपनी विंड टरबाइन के बाजार में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। तांती ने कहा, 'तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमें भी तेजी से काम करना होगा। इसीलिए इस समय तेजी से विकास हमारा पहला लक्ष्य है न कि मुनाफा कमाना।'

नहीं पसंद भाई-भतीजावाद

अपना साम्राज्य खड़ा करने वाले तांती बाकी भारतीय कारोबारियों से अलग हैं। जब तांती रिटायर होंगे तो वह अपने कारोबार की बागडोर अपने बच्चों के हाथों में नहीं सौपेंगे। तांती के दो बच्चे हैं और दोनों ही हाँग काँग में हैं। 23 साल का बेटा प्रणव मेरिल लिंच ऐंड कंपनी के लिए काम करता है और 22 साल की बेटी निधि क्रेडिट स्विस ग्रुप के लिए काम करती है।

इस बारे में तांती कहते हैं, 'मैंने वह काम नहीं किया जो मेरे पिताजी करते थे। मेरे बच्चे भी मेरे नक्शेकदम पर नहीं चलेंगे। सुजलॉन का संचालन पूरी तरह से एक व्यावसायिक टीम करेगी। निदेशक मंडल में परिवार का एक सदस्य रहेगा। हम इस कंपनी को अमेरिकी या यूरोपीय कंपनी की तरह ही चलाएंगे।'
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