क्या आपने कभी सोचा है कि यदि पृथ्वी का अंत हुआ तो किस तरह होगा? एक झटके में या फिर आहिस्ता-आहिस्ता? यदि कोई बड़ा एस्ट्रायड या धूमकेतु पृथ्वी से टकराता है तो एक झटके में ही पृथ्वी से जीवन का समूल नाश हो जाएगा और यदि तुरंत रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तथा ग्लोबल वार्मिंग इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो पृथ्वी से मानव समेत जीवों की सभी प्रजातियां आहिस्ता-आहिस्ता विलुप्त हो जाएगी। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे ने मुख्यतः 1990 के अंतिम महीनों के बाद से दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया है। आइए जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग है क्या?
पृथ्वी पर जीवन को विकसित करने और इसे फलने-फूलने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का काम वायुमंडल करता है। हमारे वायुमंडल में मुख्यतः आक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड जैसी अन्य ‘ग्रीन हाउस’ गैसें विद्यमान हें जो धरती से परावर्तित सूर्य की किरणों के कुछ अंश सोखकर पृथ्वी को गर्म रखती है और अतिरिक्त गर्मी को अंतरिक्ष में विलीन हो जाने देती है। वर्तमान में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ जाने के कारण यह प्राकृतिक चक्र गड़बड़ा गया है। ग्रीन हाउस गैसें यदि अत्यधिक बढ़ जाएंगी तो न केवल पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश ही पहुंचना कम होता जाएगा, बल्कि पृथ्वी से परावर्तित सूर्य की किरणें और अतिरिक्त गर्मी भी वायुमंडल से बाहर नहीं जा सकेगी। इस स्थिति में पहले तो पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला जाएगा और उसके बाद सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में न मिलने के कारण पृथ्वी तेजी के साथ ठंडी होने लगेगी और हिमयुग आ जाएगा। यह एक ऐसी स्थिति होगी जिसमें मानव, पेड़-पौधों व जानवरों समेत जीवन का प्रत्येक स्वरूप विलुप्त हो जाएगा। पृथ्वी का जैविक इतिहास बताता है कि बीते 50 करोड़ वर्षों में छह ऐसी घटनाएं घट चुकी है जब पृथ्वी से ज्यादातर जीव प्रजातियां लुप्त हो गई। ग्लोबल वार्मिंग के कारण हम अब सातवीं बार पृथ्वी से जीवन विलुप्त होने के डर के साए में जी रहे है।
फिल्म ‘द डे आफ्टर टुमारो’ में निर्देशक रोनाल्ड एमेरिक ने ग्लोबल वार्मिंग के खतरनाक स्वरूप से लेकर हिमयुग के आगमन तक की स्थिति दर्शाई है। दूसरी ओर ‘ग्लोबल वार्मिंग’ को लेकर शीर्ष मौसम व भू विज्ञानियों और राजनीतिज्ञों के बीच एक अलग बहस चल रही है और इस बहस का कारण है पेटागन की एक रिपोर्ट। यह रिपोर्ट अमेरिका के समक्ष उत्पन्न होने वाले दीर्घकालीन खतरों को भांपने व उनका आंकलन करने का काम करने वाले पेंटागन के एक वरिष्ठ सदस्य एंड्रयू. डब्लू. मार्शल के दो सलाहकारों द्वारा ‘एन एबरप्ट क्लाईमेंट चेंज सिनारियो एंड इट्स इम्प्लीकेशंस फार यूनाईटेड स्टेट्स नेशनल सिक्योरिटी’ शीर्षक से लिखी गई है। मार्शल का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से संबंधित यह रिपोर्ट उन्होंने पिछले वर्ष देश के शीर्ष वैज्ञानिक सलाहकार केंद्र नेशनल एकेडमीज आफ साइंस के इसी विषय पर एक अध्ययन को पढ़ने के बाद तैयार करवाई है। नेशनल एकेडमीज आफ साइंस ने अपने अध्ययन में ग्लोबल वार्मिंग के प्रति स्पष्ट चेतावनी देते हुए इसे मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए सबसे गंभीर खतरे के रूप में चिन्हित किया है। पेंटागन की यह अतिगोपनीय रिपोर्ट मीडिया में कैसे लीक हो गई? यह एक अलग रहस्य है, बहरहाल ब्रिटेन का एक समाचारपत्र ‘द आब्जर्वर’ इस पर टिप्पणी करते हुए लिखता है, ‘पेंटागन ने इस रिपोर्ट द्वारा बुश से कहा है कि वातावरण में हो रहे बदलाव अंततः हमें नष्ट कर देंगे।’ पेंटागन की गोपनीय रिपोर्ट में ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों के तौर पर प्राकृतिक आपदाओं के साथ ही शहरों में अराजकता और नाभिकीय युद्ध तक की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका जताई गई है। उधर कुछ पर्यावरणविदों और विज्ञानियों का मानना है कि पैंटागन की इस रिपोर्ट और रोनाल्ड एमेरिक की फिल्म से आम लोगों में ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए जागरूकता बढ़ेगी। वहीं कुछ विज्ञानियों का मानना है कि इस रिपोर्ट से और कुछ हो या न हो विकासशील देशों के विरुद्ध बुश प्रशासन के हाथ ग्लोबल वार्मिंग नाम का एक नया हथियार जरूर लग गया है। पेंटागन के श्री मार्शल के लिए एक लाख डालर की ग्रांट के बदले यह रिपोर्ट लिखने वाले उन दो सलाहकारों में से एक पीटर श्वार्टज का कहना है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में जानबूझकर सबसे बदतर स्थितियों का जिक्र किया है। वह कहते हैं कि मेरा लक्ष्य सैन्य रणनीतिज्ञों को उस परिस्थिति के बारे में सोचने के लिए मजबूर करना था जिसकी कल्पना करना भी कठिन है। रोनाल्ड एमरिक की फिल्म में तो इससे भी कहीं आगे की स्थिति दिखाई गई है। फिल्म डे आफ्टर टुमारो का मुख्य पात्र एक पेलियो क्लाईमेटोलाजिस्ट (भूतकाल में मौसम में हुए बदलावों का अध्ययन करने वाला विज्ञानी) प्रो. एड्रियन हाल है जिनकी मुख्य चिंता ग्लोबल वार्मिंग के कारण उत्पन्न होने वाली बदतर स्थितियों से इस दुनिया को और अपने बेटे सैम को बचाना है।