सोमवार, 28 अप्रैल 2008

वनाच्छादित धरा ही मानव के सुकून

औद्योगिक क्रांति के बाद पृथ्वी पर आए परिवर्तन के इस दौर में मानव के सुकून के लिए वनाच्छादित धरा ही एकमात्र आधार है, इसके लिए पौधों का रोपण और उनका संरक्षण ही एकमात्र विकल्प है। इस दिशा में न केवल वन विभाग अपितु जनसामान्य को भी प्रयास करने होंगे। यह विचार वन मण्डल डगरपुर के तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर मंगलवार को वन विभाग कार्यालय में आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किए।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उप वन संरक्षक ओ.सी.चन्देल ने कहा कि विगत छः दशकों में मानवीय गतिविधियों में इजाफे के चलते वायुमण्डल का रासायनिक संगठन पूरी तरह से बदल गया है, गैसों का अनुपात गडबडा गया है और जलवायु में भी बदलाव होने लगा है। इन समस्त परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए पृथ्वी को वनाच्छादित करना बेहद आवश्यक है और इसके लिए दृढ संकल्पित होकर समन्वित प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि औद्योगिकरण के चलते पृथ्वी संकट में है और ऐसी स्थिति में इस पृथ्वी पर सजीव प्राणी भी संकट में हैं। उन्होंने विभागीय कर्मचारियों व आमजनों से आग्रह किया कि पृथ्वी पर बढते प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन को रोकने के लिए जनचेतना जाग्रत करने के गंभीर प्रयास करें और विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर जीवन को बचाने के लिए प्रयास करने के संकल्प लें। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पर्यावरणीय विषयों के जानकार वीरेन्द्रसिंह बेडसा ने ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाउस इफेक्ट से हुए ओजोन परत के छेद और उससे पृथ्वी व सजीव जगत पर होने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी देते हुए इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष दुनिया में 18 लाख लोग प्रदूषित जल से मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं वहीं ग्लोबल वार्मिंग से तापमान में बढोत्तरी व ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र के जलस्तर बढने की स्थिति म जलप्रलय होने की संभावना है। बेडसा ने कहा कि बढते औद्योगिकरण के दुष्प्रभावों को दुनिया ने असामान्य तापमान, बर्फबारी, अतिवृष्टि और समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं यथा भूकम्प, बाढ, सुनामी आदि के रूप में देखा है तथापि आज भी मानव पृथ्वी को बचाने के लिए जागरूक नहीं हुआ है। उन्होंने आह्वान किया कि समय रहते इस दिशा में प्रयास हो ताकि हम हरी-भरी, स्वच्छ, स्वस्थ व संपन्न पृथ्वी की सौगात आने वाली पीढयों को दें। संगोष्ठी को वन मण्डल डूंगरपुर के कार्यालय सहायक कुरीलाल,वनपाल धूलाराम पंचाल, मांगीलाल तथा वन सुरक्षा एवं प्रबन्ध समिति सिंदडी के अध्यक्ष कालूराम ने भी संबोधित किया। इस मौके पर राजस्थान वानिकी एवं जैव विविधता परियोजना द्वारा प्रकाशित साहित्य का वितरण किया गया और समुद्र जलस्तर में ईजाफा, फसल उत्पादकता, महामारी, पारिस्थितिकी तंत्र आदि विषयों पर मौजूद संभागियों को तथ्यात्मक जानकारी प्रदान की गई। संगोष्ठी का संचालन क्षेत्रीय वन अधिकारी पी.सी.कुमावत ने तथा आभार प्रदर्शन नटवरसिंह शक्तावत ने किया। इधर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में इको क्लब के तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हितेश भट्ट की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में जयप्रकाश पण्ड्या, योगेशचंद्र पण्ड्या, देवीलाल जैन, भूपेन्द्र कुमार जैन आदि वक्ताओं ने हिमस्खलन, खनन, भूजल दोहन, वनसंपदा आदि विषयों पर वार्ताएं प्रस्तुत की। इस मौके पर विद्यालय में एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।

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