महावीर सिंह चौहान
बीकानेर. पेट की भूख बुझाने के लिए खेतों में खाना तलाशते निरीह वन्य जीव या तो अंधे हो रहे है या फिर गश खाकर गिर रहे हैं। इसका मुख्य कारण खेतों में पैदावार बढ़ाने और फसलों की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले कीटनाशकों का प्रयोग है। कुछेक को छोड़कर अधिकतर कीटनाशक वन्य जीव विशेष कर हरिण और मोर के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। कीटनाशक छिड़काव की गई फसलों के पास से गुजरते या फिर खाते समय इन वन्य जीवों को इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले कुछ महीनों से बड़ी संख्या में ऐसे प्रकरण बीकानेर के पशु अस्पतालों में सामने आए है। नोखा, सावंतसर, बज्जू आदि क्षेत्रों में इस प्रकार की घटनाओं में इजाफा हुआ है। किसान तो यह सोचकर बीमार हुए वन्य जीवों को बीकानेर लाता है कि गर्मी लग गई है मगर डाक्टरी जांच में यह मामले सामने आए है।
मोरों के लिए फोलीडायल, ड्रेमेट, एन्ट्राकोल, एम 45, टिक्का डिजीज नामक कीटनाशक अधिक घातक होता है वहीं हरिणों के लिए मोनो, कोटोफोस, कुणालफोस, एन्ड्रोसिफाल, बिलमॉस, सबसे अधिक घातक होते हैं। अधिकतर कीटनाशकों के निर्माण में कीड़ों का उपयोग होता है जिससे उसका जहरीलापन और बढ़ जाता है। खेतों में डाले जाने वाले कीटनाशक इतने तेज होते है कि कई बार तो किसान खुद उसकी चपेट में आ जाते है। इन कीटनाशकों के चपेट में आने से किसानों को चक्कर आने के साथ-साथ मुंह से झाग की शिकायत भी रहती है।
खराब बीज खाने से मोर की सेहत पर सबसे अधिक असर पड़ता है। यह कीटनाशक आदमियों की तुलना में पशु-पक्षियों पर अधिक असर डालते है। बाजार में कई ऐसे कीटनाशक भी उपलब्ध है जो पैदावार बढ़ाने में सहायक साबित होते हैं लेकिन जहरीले नहीं होते। इनमें डालर, जिंक, फील्ड मार्शल मुख्य है। जीरे में सर्वाधिक कीटनाशक का प्रयोग होता है। विगत कुछ सालों में फसलों में कीड़े लगने की घटनाओं के बाद कीटनाशक का प्रयोग भी बढ़ गया है।
कीटनाशक, प्रभाव और बचाव >>
मोनो, कुणालफोस, एन्डोसिफाल: सबसे अधिक जहरीले कीटनाशक है।
कुणाल फोस- यह कीटनाशक हवा के साथ असर दिखाता है। पशु-पक्षियों और मनुष्यों पर ज्यादा प्रभाव।
डालर, जिंक, फील्ड मार्शल: पैदावार बढ़ाने में सहायक, जहरीले नहीं।
प्रभाव: स्नायुतंत्र पर असर,चक्कर आना, मुंह से झाग निकलना।
बचाव : छिड़काव के पहले 15 दिन रखे विशेष चौकसी
उपाचारित और खराब बीज को जमीन में दबा देना चाहिए
आर्गेनिक बीजों का उपयोग अधिक करना चाहिए
छिड़काव के पहले 15 दिनों तक कीटनाशक का असर अधिक होता है। ऐसे में इनके संपर्क में आने वाले पशु-पक्षी सबसे अधिक प्रभावित होते है। जहरीला कीटनाशक सबसे पहले पशु-पक्षियों के स्नायुतंत्र पर असर डालता है। इसके प्रभाव में आने वाले पशु-पक्षियों में घबराहट पैदा हो जाती है। मोर व हरिण को तो इस स्थिति में अस्पताल तक आने का समय मिल जाता है मगर छोटे पक्षी कबूतर, कौए, चिड़िया तो मौके पर ही दम तोड़ देते हैं।
-डॉ. ए.के. गहलोत, डीन, वेटेरनेरी कॉलेज