मंगलवार, 19 अगस्त 2008

पर्यावरण का संदेश देने का खोजा अनोखा तरीका

कुछ वृक्ष मुझे बेटों जैसे लगते हैं,
कुछ माओं जैसे, कुछ बहनों की तरह
तो कुछ भाइयों जैसे।
आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि शिव कुमार बटालवी की यह लाइनें कितना असर रखती हैं। खासकर उस व्यक्ति की संवेदनाओं को किस तरह सहलाती होंगी, जिसके घर हाल ही में कोई मृत्यु हुई हो। यह पंक्तियां एक पोस्टकार्ड पर भेजते हैं पंजाब पुलिस में कांस्टेबल गुरबचन सिंह..इस आग्रह के साथ कि दिवंगत आत्मा की याद में एक पौधा जरूर लगा दें।
जिसे काम करना होता है, उसे अवसरों की कमी नहीं होती। ऐसा व्यक्ति मौके का इंतजार नहीं करता, वह मौके खुद बनाता है। गुरबचन सिंह ऐसे ही व्यक्ति हैं, जिनके लिए कहा जा सकता है कि साए में आते ही वो आदमी याद आता है, जिसने कुछ सोच के ये पेड़ लगाया होगा। तमाम संस्थाएं पर्यावरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करती हैं, सेमिनार कराती हैं, विज्ञापन देती हैं, लेकिन जो असर गुरबचन सिंह के शोक संदेशों का होता है, वह शायद ही किसी अन्य माध्यम का होता हो। उनके शोक संदेशों में पर्यावरण के प्रति प्रेरित करने वाले शेर होते हैं।
बहुत से लोग अखबारों में छपे शोक संदेश पढ़ते हैं, लेकिन इन संदेशों के सकारात्मक उपयोग का ख्याल सिर्फ गुरबचन को आया। गुरबचन शोक समाचारों के विज्ञापनों में लिखे पतों पर दुखी परिवारों को पोस्टकार्ड भेजते हैं। पोस्टकार्ड में वह न केवल संवेदना जताते हैं, बल्कि दिवंगत आत्मा की याद में एक पौधा लगाने के लिए कहते हैं। उनका संदेश साफ है कि केवल इसी रूप में आप अपने प्रिय को हमेशा जिंदा रख सकते हैं।
गुरबचन बताते हैं कि 1989 में उनके नाना ने गांव में एक पौधा लगाया। इसके करीब दो वर्ष बाद नाना की मृत्यु हो गई, लेकिन वह पौधा बरगद का विशाल पेड़ बन चुका है। तब मैंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए, जिससे सामाजिक चेतना आए। कपूरथला पुलिस लाइन में रहने वाले गुरबचन ग्राम पंचायतों के साथ स्कूल-कालेजों को भी पत्र लिखकर अधिक से अधिक संख्या में पेड़-पौधे लगाने और विद्यार्थियों को भी प्रेरित करने की अपील करते हैं। साथ ही पोलिथिन के लिफाफों के कम उपयोग और बिजली-पानी के उचित प्रयोग के लिए भी पत्र लिखते हैं। वह खुद हर वर्ष 200 से अधिक पौधे लगाते हैं। गुरबचन पुलिस के प्रति गलत धारणा भी दूर करना चाहते हैं। उनके शब्दों में, आखिर पुलिस वाले भी इंसान होते हैं।
गुरबचन ने सबसे पहले एक जनवरी 2005 को नवांशहर का एक शोक विज्ञापन पढ़कर एक डाक्टर को पोस्टकार्ड भेजा था। उन्होंने डाक्टर पिता को बेटी की स्मृति में पौधा लगाने की अपील की, जो दुखी पिता ने मान भी ली। तब से यह सिलसिला जारी है।
अब तक गुरबचन तीन हजार से अधिक पोस्टकार्ड भेज चुके हैं। वह पर्वतारोही भी हैं। पंजाब पुलिस के पूर्व एडीजीपी [स्व.] पीएम दास के नेतृत्व में वह कई पर्वतारोही अभियानों में भाग ले चुके हैं। इनमें गढ़वाल स्थित 18750 फीट की ऊंचाई वाला द्रौपदी का डंडा, 20897 फीट की ऊंचाई वाला ब्लैक पीक और 20 हजार फीट की ऊंचाई वाली लंपक दक्षिणी प्रमुख है। jagran

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