शनिवार, 9 अगस्त 2008

हरियाली अमावस्या पर मेला

जंगल में मंगल का सुकून पाने उमडेंगे शहरवासी
बांसवाडा, 31 जुलाई/ हरियाली अमावास्या पर एक अगस्त, शुक्रवार को बांसवाडा शहर से सटे श्यामपुरा वन क्षेत्र में मेला भरेगा। इसे लेकर वन विभाग द्वारा व्यापक तैयारियां की गई हैं। श्यामपुरा वन क्षेत्र घने जंगल और विभिन्न प्रजातियों के पादपों तथा हरियाली से भरा वह मनोरम वानिकी उद्यान है जहां पहुंचकर मेलार्थी जंगल में मंगल को सार्थक करेंगे। इसमें सभी मेलार्थियों का प्रवेश निःशुल्क है। मेला शुक्रवार को सवेरे शुरू होगा और दिन भर चलेगा।
मेलार्थी श्यामपुरा वानिकी उद्यान क्षेत्र में पहुंचकर घने जंगल और पहाडों के बीच होने का अहसास करेंगे तथा हरियाली का सुकून पाएंगे। मेलार्थी इस उद्यान में परिवार के साथ आकर पिकनिक का आनंद लेंगे। मेले में बडी संख्या में बच्चे भी आएंगे और मनोरंजन के संसाधनों का लाभ उठाएंगे। इसके लिए उद्यान में झूले, फिसलपट्टी आदि बने हुए हं।
शहरी माहौल के बीच प्रकृति का सुकून
बांसवाडा शहर में बढते आवासीय क्षेत्र एवं प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1994-95 में शहर से 2 किलोमीटर पश्चिम दिशा में बांसवाडा - उदयपुर मुख्य मार्ग से उत्तर दिशा में 100 मीटर दूरी पर श्यामपुरा वानिकी उद्यान 65 हैक्टर को हरित पट्टी के रूप में विकसित करना प्रारंभ किया गया। आज यह लम्बा-चौडा प्राकृतिक क्षेत्र शहर के समीप होते हुए भी घने जंगलों में सफर का अहसास कराता है।
सैरगाह में पहुंच का रास्ता
श्यामपुरा वानिकी उद्यान में प्रवेश हेतु बांसवाडा-उदयपुर मुख्य मार्ग पर स्थित भारतीय खाद्य निगम के गोदाम, जिला शिक्षा अधिकारी, प्राथमिक, तथा केन्द्रीय विद्यालय रोड से पहुंचा जा सकता है। उद्यान की पूर्व दिशा में न्यू हाउसिंग बोर्ड की ओर से भी प्रवेश किया जा सकता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए शहर के निकट एक अच्छा सैरगाह है। उद्यान में प्रवेश निःशुल्क है। उद्यान में बगैर नुकसान पहुंचाए रोजाना भ्रमण किया जा सकता है। उद्यान में भ्रमण के लिए लगभग 3 कि.मी. का ट्रैक बना हुआ है जहां सवेरे-शाम काफी संख्या में प्रकृति प्रेमी विचरण करते हुए देखे जा सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से शहर के पास स्वच्छ वायु से परिपूर्ण ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है। उद्यान में ट्रैक एवं चौराहों के नाम एवं संकेत अंकित हैं।
मानव श्रम और संकल्प का परिणाम
बंजर जमीन को हरा-भरा बनाना आसान काम नहीं है। और जमीन अगर पहाडी हो तो यह काम और भी मुश्किल हो जाता है लेकिन संकल्प शक्ति और दृढ इरादे मजबूत हों तो कोई राह कठिन नहीं होती। इसी जज्बे को साकार कर दिखाया है वन विभाग ने। श्यामपुरा वानिकी उद्यान ऐसी ही सफलता की मिसाल है।
63 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह क्षेत्र उन दिनों खाली पहाडी क्षेत्र भर था लेकिन वन विभाग ने 14 वर्ष की कम अवधि में इसे नैसर्गिक पर्यटन स्थल का रूप दे दिया है। चारदीवारी से घिरे इस मानवनिर्मित जंगल के आस-पास धामनिया, काकराडूंगरी तथा पीपलोद गांव हैं जो इससे लगे हुए हैं। इस जंगल की सुरक्षा के लिए वन सुरक्षा समिति बनी हुई है जिसमें इन गाँवों के 200 से अधिक परिवार जुडे हुए हैं।
शताधिक प्रजातियों के पादप मौजूद
श्यामपुरा वानिकी उद्यान में वर्तमान में 100 से अधिक प्रजातियों के वृक्ष एवं झाडयाँ विद्यमान हैं, जिनमें से 63 प्रजातियों के पौधे रोपित किए गए हैं जबकि शेष प्राकृतिक रूप से लगे हुए हैं। इनका संरक्षण वन सुरक्षा समिति एवं विभागीय कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
उद्यान में मुख्यतः सागवान, सीरस, ,शीशम, देशी बबूल, सेवन अरडू, चुरैल, नीम, अमलतास, गूलर, झिंझा, कुमठा बहेडा, सादड, जामुन, कचनार, सेमल, खैर,ग्वारपाठा, मरोडफली, कलम, सफेदा, रोंज, रूद्राक्ष, अशोक, पीपल, करंज, बैर, आँवला, अर्जुन, अरीठा, खाकरा, तेन्दू, केशीया शामा, आल, रतनजोत, रामबांस, जंगल जलेबी, ईमली, अनार, अमरूद, बांस, पीला बांस, आदि प्रजाति के वृक्ष उपलब्ध हैं। इसके अलावा कई प्रकार की जडी-बूटियां भी इस जंगल में मिलती हैं। मुख्य प्रजाति के पौधों पर स्थानीय नाम, वैज्ञानिक नाम, उनका औषधीय उपयोग एवं उपयोगी भाग आदि का विवरण अंकित करते हुए प्लेट्स लगायी गयी हैं।
बच्चों से लेकर बूढों तक के मनोरंजन का भरपूर प्रबन्ध
श्यामपुरा वानिकी उद्यान में बच्चों के मनोरंजन के लिए कई प्रबन्ध किए गए हैं। इनमें झूले, फिसल पट्टी, तथा बेलेन्स आदि लगाये गये हैं। उद्यान में जगह-जगह विश्राम के लिए विश्राम-बैंचें भी लगाई गई हैं।
उद्यान के मुख्य आकर्षण में सन सेट पाईन्ट, ध्यान योग हेतु पत्थर शीला, वन गणेश, काल भैरव मन्दिर, एनिकट, वन सन्दर्भ केन्द्र आदि हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए सैर-सपाटे के दौरान जलपान हेतु दो हट निर्मित किये गये हैं। यहीं आकर्षक ढंग से दो विश्राम छतरियां भी बनी हैं। इसके अलावा यहां से पास ही के धामनियां गांव में स्थित हनुमानजी की 42 फीट ऊँची विशालतम मूर्ति के दर्शन होते हैं।
वाच टॉवर से दिखता है मीलों तक का विहंगम दृश्य
उद्यान के सबसे ऊँचे स्थान पर निर्मित वॉच टावर से शहर एवं आस-पास के मीलों तक के क्षेत्र का विहंगम दृश्य निहारा जा सकता है। इस वाच टॉवर से नन्दौर माता, मदारेश्वर, समाईमाता, जगमेर, झांतला पहाडी, माही सीमेंट, मोरडी, भीमकुण्ड पहाडी, फाटीखान सहित 20 से 30 किलोमीटर परिधि का मनोहारी दिग्दर्शन होता है। वाच टॉवर पर खडे होकर चारों तरफ निगाह दौडायी जाए तो बांसवाडा का अभिराम सौन्दर्य अपनी अलग ही कहानी कहता प्रतीत होता है। यह वाच टॉवर सन राईज पाइंट और सन सेट पोइंट दोनों की भूमिका भी निभाता है।
यहाँ मुख्यतः लोमडी, सियार, खरगोश, मोर, तीतर, बिज्जू, नेवला आदि प्रजातियों के वन्य जीव भी विचरण करते हुए पाये जाते है। मोर की मधुर ध्वनि अक्सर श्यामपुरा वन क्षेत्र में गूंजती रहती है। संध्या काल में विभिन्न प्रजातियों के हजारों पंछियों का कलरव कई किलोमीटर तक गूंजता रहता है।
सेहत के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भ्रमण स्थल
इस जंगल में एक एनिकट बनाया गया है जो वन्य जीवों के लिए पानी पीने का मुख्य स्रोत है। इसमें अक्सर वन्य जीवों तथा परिन्दों को अठखेलियाँ करते हुए देखा जा सकता है। श्यामपुरा वानिकी उद्यान में प्राकृतिक रूप से बहने वाले दो नाले भी हैं इनमें वर्षा ऋतु में पानी बहता रहता है। कुल 63 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जंगल के रास्तों को नापा जाए तो इसकी दूरी कुल 3 किलो मीटर होती है। घूमने वालोंके लिए 2-3 घण्टे प्रकृति के साथ रहने का यह अच्छा स्थान है।
शहरी माहौल से ऊब चुके और प्रकृति प्रेमियों के लिए श्यामपुरा वह आँगन है जहां सेहत और असीम आत्मतोष का मिला-जुला सुकून प्राप्त होता है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। जो एक बार श्यामपुरा वानिकी उद्यान का पता पा जाता है वह बार-बार उतावला रहता है प्रकृति के इस आँगन में आनंद पाने।
श्यामपुरा वानिकी उद्यान में हरियाली अमावस्या पर्व पर मेला आयोजन का निर्णय हरित राजस्थान कार्यक्रम के अन्तर्गत पर्यावरण समिति द्वारा लिया गया है। वागड पर्यावरण संस्था ने बांसवाडावासियों से आह्वान किया है कि वे हरियाली अमावास्या के मेले में अधिकाधिक संख्या में भाग लें।

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