गुरुवार, 28 अगस्त 2008

कई बीमारियों की एक दवा : नीम - पदमा श्रीवास्तव

नीम एक ऐसा पेड़ है जो सबसे ज्यादा कड़वा होता है परंतु अपने गुणों के कारण चिकित्सा जगत में इसका अपना एक अहम स्थान है।

नीम रक्त साफ करता है। दाद, खाज, सफेद दाग और ब्लडप्रेशर में नीम की पत्ती का रस लेना लाभदायक है। नीम कीड़ों को मारता है इसलिये इसकी पत्ती कपड़ों और अनाजों में रखे जाते हैं। नीम की दस पत्तियां रोजाना खायें रक्तदोष रहीं होगा। नीम के पंचांग जड़, छाल, टहनियां, फूल पत्ते और निंबोली उपयोगी हैं। इन्ही कारणों से हमारे पुराणों में नीम को अमृत के समान माना गया है। अमृत क्या है जो मरते को जिंदा करे। अंधे को आंख दे और निर्बल को बल दे। नीम इंसान को तो बल दोता ही है पेड़-पौधों को भी बल देता है जैसे- खेतों में नीम के पानी की दवा बनाकर डाला जाता है। अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे कि नीम एक औषधि के रूप मे प्रयोग होता है।

नीम, आंख, कान, नाक, गला और चेहरे के लिए उपयोगी, आंखों में मोतियाबिंद और रतौंधी हो जाने पर नीम के तेल को सलाई से आंखों नें अंजल की तरह से लगायें।

आंखों में सूजन हो जाने पर नीम के पत्ते को पीस कर अगर दाई आंख में है तो बाएं पैर के अंगूठे पर नीम का पत्ती को पीस कर लेप करें। ऐसा अगर बाई आंख में हो तो दाएं अंगूठे पर लेप करें। आंखों की लाली व सूजन ठीक हो जायेगी।
अगर कान में दर्द हो या फोड़ाफुंसी हो गयी हो, तो नीम या निंबोली को पीस कर उसका रस कानों मे टपका दें। कान में कीड़ा गया हो, तो नीम की पत्तियों का रस गुनगुना करके इसमें चुटकी भर नमक डालकर टपकायें एक बार में ही कीड़ा मर जायेगा। अगर बहुत जरूरत हो तो दूसरे दिन डालें।
अगर कान में दर्द हो तो 20ग्राम नीम की पत्तियां, 2 तोला नीलाथोथ (तूतिया) डालकर पीस लें इसकी छोटी छोटी गोलियां बनाकर सुखा लें फिर काले तिल या साधारण तेल में पका लें जब टिकिया जल जाये, तो इस तेल को छान कर रख लें अब एक तीली मे रूई लगा कर इस तेल में डुबाकर कान साफ करें बार बार रूई बदलें। अगर कान से पीप आ रहा है तो नीम के तेल में शहद मिलाकर कान साफ करें पीप आना बंद हो जायेगा।
सर्दी जुकाम हो गया हो तो नीम की पत्तियां शहद मिलाकर चाटें। खराश ठीक हो जायेगी।
ह्रदय रोग में नीम रामबाण का काम करता है। अगर आपको ह्रदय रोग हो, तो नीम की पत्तियों की जगह नीम का तेल का सेवन करें। नीम पीस कर त्वचा पर लगायें ज्यादा फायदा होगा।

दांत और पेट के रोग का इलाज

दांत और पेट का एक-दूसरे से सीधा संबंध होता है । दांतों से चबाया भोजन हमारे पेट में जाता है अगर दांत भोजन को चबाकर इस लायक नहीं बना पाते कि वह पेट मे जाकर आसानी से हजम कर सके, तो पेट खराब हो जायेगा। पेट खराब तो होगा ही साथ पेट की कई बीमारियां भी पैदा होगीं। इस कारण वैद्य लोग रोगों का इलाज पेट ही से शुरू करते थे। इसके पीछे कारण यह है कि पेट ठीक तो सब ठीक। इसके लिये दांतों को नीम, बबूल की दातुन से साफ करें अगर संभव हो तो एक बार घर पर ही इसका मंजन को बना लें जिसमें जली सुपारी, जले बादाम के छिलके, 100ग्राम खडिया मिट्टी, 20ग्राम बहेडे, थोड़ी सी कालीमिर्च, 5ग्राम लौंग, एक आधा ग्राम पीपरमिंट इन सब को पीस कर छान लें। इसे मंजन की तरह इस्तमाल करें। दांत की सब बीमारियां, पायरिया, दुर्गंध दूर हो जायेगी। साथ ही नीम के पत्ते भी चबाते रहा करें।
अब पेट के बारे में देखें, अगर अपच हो जाये तो निंबोली खायें रूका हुआ मल बाहर निकालता है। रक्त स्वच्छ करेगा और भूख अधिक लगेगी। बासी खाना खाने से पित्त, उल्टियाँ हो, तो इसके लिये नीम की छाल, सोंठ, कालीमर्च को पीस लें और आठ-दस ग्राम सुबह-शाम पानी से फंकी लें। तीन चार दिनों में पेट साफ हो जायेगा। यदि दस्त हो रही हों, तो नीम का काढ़ा बनाकर लें।
गंदे पानी के मच्छर, मक्खी से होने वाले रोग तेजी से फैलते हैं। इसका उपाय भी नीम से है पांच लौंग, पांच बड़ी इलायची, महानीम(बकायन) की सींके पीसकर। पचास ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा गर्म कर लें ये एक बाऱ की मात्रा है। इसे दो-दो घंटे बाद बनाकर देते रहें है। साथ –साथ हाथ पैरों मे नीम के तेल की मालिश भी करें। कमजोरी दूर होगी। अगर किसी रोगी को पेशाब नहीं आ रही है तो नीम के पत्ते पीसकर पेट पर लगायें ठीक हो जायेगा।
यदि पेट में कीड़े हो, तो (बड़ा हो या बच्चा) नीम की नई कोपलें के रस में शहद मिलाकर चाटें कीड़े समाप्त हो जायेंगे। पानी में नीम के तेल की कुछ बूंदें डालकर चाय की तरह पी जायें बच्चे को 5बूंद बड़ों को 8 बूंद इससे ज्यादा नहीं लेना है। नीम के पत्ते जरा सी हींग के साथ पीस लें और चाट जायें पेट के कीड़े नष्ट हो जायेंगे।

त्वचा व बालों का इलाज

नीम का प्रयोग करें और निखारें अपना सौंदर्य। रक्त को शुद्ध करने के लिये नीम को एक वरदान ही समझिये। नीम की छाल का काढ़ा बनाकर पी लें। यदि नीम की नई कोपलें मिल जाये को 20-25 ले लें चार-पांच दाना काली मिर्च डाल कर बेसन की रोटी में मिलाकर बनायें घी में खूब तर कर लें। इस तरह कम से कम आठ दिन तक खायें। हाथ-पांव में अधिक पसीना आता हो, तो नीम रोगन का तेल अच्छी औषधि है।
चेहरे पर कील मुंहासे होने पर नीम का तेल लगायें। झाईयां और चेचक दाग छुड़ाने के लिये निंबोती का तेल लगायें।
फोड़ेफुसी हो, तो नीम की छाल घिसकर लेप करें।
अगर बालों में लीख जुएं हो, तो नीम का तेल लगायें ।
गंजापन हो गया हो तो नीम का तेल लगायें।
बाल पकने लगे तो नीम तथा बेर की पत्तियां पानी में उबालकर उस पानी से सर धोयें।
यदि बाल काले करना हो, तो नीम को पानी में उबाल कर सर धोयें। कम से कम एक महीना नतीजा आप के सामने होगा।
कुष्ट रोग के लिये नीम एक वरदान के समान है इस रोग का इलाज नीम से हो सकता है। कुष्ट रोग फूट जाये तो नीम के नीचे सोयें, नीम खाओ, नीम बिछाकर सोयें।
बुखार, पुराना बुखार, टाईफाइड हो, तो 20-25 नीम के पत्ती 20-25 काली मिर्च एक पोटली में बांधकर आधा किलो पानी में उबालें पानी खौलने दें ढक्कन लगाकर रखें, ठंडा होने पर चार हिस्सा बनाकर सुबह-शाम दो दिन तक पिलायें फिर देखे बुखार उतरा या नही। इस विधि से तो पुराना से पुराना बुखार भी उतर जाता है।

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