शनिवार, 9 अगस्त 2008

हरियाली अमावस्या का दो दिवसीय मेला

उदयपुर, तीज-त्यौहार, पर्व, मेले आदि शहर की पहचान के साथ मेवाड का सांस्कृतिक वैभव हरियाली अमावस्या का दो दिवसीय मेला शुक्रवार व शनिवार को फतहसागर की पाल व सहेलियों की बाडी पर लगेगा। मेले में पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष पानी की चादर से वंचित रहेगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र से आने वाले मेलार्थी होंगे।
परपंरागत रूप से भरने वाले हरियाली अमावस्या के दो दिवसीय मेले का आगाज शुक्रवार को होगा। मेले की तैयारियों को लेकर जहां प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए हैं। वहीं नगर परिषद की ओर से आवश्यक तैयारियों के साथ मूलभूत सुविधाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। 1 व 2 अगस्त को फतहसागर की पाल पर लगने वाले मेले में नगर परिषद की ओर से आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। रोशनी की यही व्यवस्था सहेलियों की बाडी मार्ग पर भी की गई। गुरूवार को ही फतहसागर की पाल पर जगह-जगह खिलौने, मनोरंजन के सामान, सौंदर्य प्रसाधन, गृह सज्जा, सजावटी वस्तुओं, चाय, पानीपुरी, पकोडी, मालपुए आदि की थडियां लग गई थी। दुकानदार दुकानों को सजाने,संवारने में लगे हुए हैं। बरसात से बचने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं।
सावन-भादो का अहसास
मेवाड की राजकुमारियां अपनी सहेलियों के साथ भ्रमण, मनोरंजन के लिए आती थी, इसलिए सहेलियों की बाडी में बडी संख्या में महिलाओं की भीड बडी संख्या में देखी जाती है। सावन-भादो का अहसास कराता है। यह मेला संपूर्ण मेवाड में अपनी अलग छाप छोडता है। मेले के मद्देनजर सहेलियों की बाडी में भी साफ-सफाई व फव्वारे चालू कर दिए गए हैं। बाडी में प्रवेश निशुल्क रहेगा।
मोतीमगरी में प्रवेश निशुल्क
हरियाली अमावस्या मेले के तहत महाराणा प्रताप स्मारक समिति की ओर से शुक्रवार व शनिवार को दो दिवसीय प्रवेश निशुल्क किया गया है। मेले को ध्यान में रखते हुए समिति की ओर से उद्यान में आकर्षक विद्युत रोशनी की गई है।
मेले में आकर्षक बनेगी कलाकारों की प्रस्तुतियां
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से पारंपरिक राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुतियां होगी, जो मेलार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी। कार्यक्रम के तहत भपंग, कालबेलिया आदि प्रस्तुतियों से समा बाधंगे।
अब नहीं दिखाई देते पारंपरिक झूले
सावन मास में अब पूर्व की भांति पेडों पर लगाए जाने वाले पारपंरिक रस्से के झूले दिखाई नहीं देते। बुजुर्गों के अनुसार सावन में गुलाबबाग में रस्से के झूलों पर महिलाएं व युवतियां सखियों के साथ झूले का आनंद उठाती देखी जाती थी। समय के साथ बडे डोलर, चकरी आदि झूलने का माध्यम बन गए हैं।
धूणीमाता मेला आज से
दो दिवसीय धूणीमाता का मेला नांदवेल पंचायत की ओर से धूणीमाता पर आयोजित किया जाएगा। सुबह 11 बजे मेले का उद्घाटन होगा। दो दिवसीय मेले की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं। मेला स्थल पर दुकानें सज गई हैं। मेले में चकरी, डोलर, झूले आदि भी लग गए हैं। मनिहारी, घरेलू सामान, बच्चों के खिलौनों के अलावा जादू के खेल, मौत का कुआं और खान-पान की दुकानें मुख्य हैं।

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