सोमवार, 25 अगस्त 2008

नीम-उत्पादित कीटनाशक



नीम पर अनुसंधान के साथ-साथ उसके निषेचित रसायन यौगिकों को सर्वसुलभ कराने के लिए उनके व्यावसायिक उत्पादन भी विगत कुछ वर्षों में काफी तेजी से शुरू हो चुके हैं। इस व्यवसाय में वे देश काफी आगे निकल गये हैं, जिनके पास नीम वृक्ष पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं। इनमें अमेरिका, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम आदि प्रमुख हैं। विलम्ब से ही सही, भारत में भी नीम पर अनुसंधान एवं उत्पादन कार्य अब तेजी से शुरू हो चुके हैं। भारतीय प्रतिष्ठानों द्वारा उत्पादित कीटनाशकों में कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं- अजाडिट, गोदरेज अचूक, फिल्डमार्शल, जवान क्रॉप प्रोटेक्टर, मार्गोसाइड्स सी.के., मार्गोसाइड्स ओ.के., मास्किट, नीमहिट, नीमार्क, नीमसोल, नीमगोल्ड, नीमगार्ड, नीमरीच, नीमाटा, निम्बा, निम्बेसिडिन, निम्बसेल, फिटोबिन, रेप्लिन ५५५, वेपासाइड, बेलग्रो इत्यादि। अमेरिका में उत्पादित मार्गोसा-ओ, एजाटिन टरप्लैक्स एवं बायो इंसेक्टिसाइड एलाइन, आस्ट्रेलिया उत्पादित 'ग्रीनगोल्ड' तथा जापान उत्पादित 'नीम अजाल' भी बाजार में प्रचलित हैं। १९८७ में जर्मनी और म्यामार का एक संयुक्त उद्यम मांडले के पास स्थापित हुआ, जहाँ नीम से कीटनाशक एवं उर्वरक बनाया जाता है। भारत के इंसेक्टीसाइडल बोर्ड के अनुसार देश में १९९३ तक नीम आधारित ५ कीटनाश्यक उत्पादों का पंजीकरण हुआ था। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आर्गेनिक रसायन विभाग ने १९६० में नीम से निषेचित द्रव्यों को 'बायोएक्टिव एग्रोकेमिकल' का एक समृद्ध स्रोत बताया था, तभी से भारत में नीम कीटनाशकों के अनुसंधान एवं उत्पादन में तेजी आयी।
वैज्ञानिकों का मत है कि कीटनाशकों के प्रयोग से शुरू में कुछ समय तक थोड़ी आर्थिक क्षति हो सकती है, लेकिन नियमित प्रयोग से कृषि एवं पर्यावरण में जैवकीय संतुलन कायम हो जाने पर कुछ समय बाद नीम कीटनाशक का असर भी पर्याप्त दिखेगा। इसलिए सुझाव यह दिया जा रहा है कि सिंथेटिक/रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग एकाएक बन्द न कर धीरे-धीरे दो-चार फसलों तक जाकर बन्द किया जाय और साथ ही साथ नीम कीटनाशकों का प्रयोग क्रमश: बढ़ाया जाय। खेतों में फसलों की विविधता न होने से भी उसमें लगने वाले कीड़ों की ताकत बढ़ जाती है। अत: सुझाव यह दिया जा रहा है कि नीम कीटनाशकों के उपयोग के साथ खेती में विविधता भी लायी जाय। फसल चक्र बना रहने से कीटों का प्रकोप कम होगा। नीम कीटनाशक यद्यपि व्यावसायिक स्तर की खेती के लिए रासायनिक कीटनाशकों की तरह तेज प्रभावकारी नहीं है, किन्तु विकसित देश अमेरिका वगैरह परिस्थितिकीय असंतुलन के खतरों को देखते हुए रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग को अब अधिक बढ़ने देना नहीं चाहते, भले ही उत्पादन कुछ कम हो।

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