रविवार, 3 अगस्त 2008

हरियाली और हम

हम जहां रहते हैं उसके चारों और सुन्दर पत्तियों, फूलों वाले पेड़-पौधे हों और हवा फूलों के सुगंध वाली हो। फूलों पर रंग-बिरंगी तितलियां मंडराती हो, पेड़ों पर बैठे तोता, मैना, बुलबुल मनमोहक गीत-संगीत सुनाती हो, रंग बिरंगी चिड़िया-मुनिया चारों और फुदकती हो, गर्मियों में पड़ों की शीतल छाया मिलती रहे तो कैसा लगेगा? हम सभी ऐसा जरूर चाहेंगे पर यह काल्पनिक लगता है। परंतु मनुष्य के व्यक्तिगत तथा सामूहिक प्रयास से थोड़ा कुछ ऐसा हो भी सकता है।
कई तरह के प्रदूषणों से पर्यावरण बिगड़ जाता रहा है। जल और वायु भी प्रदूषित हो रहे हैं। जंगलों की अधिक कटाई से हरियाली बहुत कम हो गई है। जिसके हानिकारक प्रभाव से जलवायु और वर्षा में परिवर्तन हो गया है। फिर कल कारखाने और वाहनों के धुएं और गर्मी का भी बुरा असर पड़ा है। इससे मनुष्यों, पशु-पक्षियों तथा वनस्पतियों के जीवन को खतरा हो गया है। पेड़-पौधे अपने जल के नीचे की मिट्टी और जल को रोके रखते हैं। जिससे जमीन में नमी रहती है। पशु-पक्षियों, कीट पतंगों को खाना तथा रहने और अंडे देने की जगह मिलती है। इन सुविधाओं की भारी कमी हो गई है। जिसके कारण बहुत प्रजातियों के जीव जन्तु और वनस्पतियां लुप्त हो गई हैं या लुप्त होने के कगार पर हैं।
बिगड़ते पर्यावरण के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएन) द्वारा सन 1972 में 'संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)' को हर 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके तहत हर वर्ष पर्यावरण सुधार के एक-एक मुद्दे को लेकर सारे विश्व में कुछ कार्य किए जाते हैं। तारीख 5 जून 2005 को 'विश्व पर्यावरण दिवस-हरित नगरी' का आयोजन किया गया। भारत में भी लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा 'इंकोसीटी' नामक योजना लागू कर शहरों को हरा भरा बनाने का प्रयास किया गया। इस दिन भारत में भी 'हरित नगर' पर एक स्मारक डाक टिकट जारी कर लोगों में जागरूकता बढ़ाया गया।
हरियाली के लिए जल भी आवश्यक है इसलिए यूएनईपी की ओर से विश्व भर में तारीख 5 जून 2007 को जल वर्ष मनाया गया। ग्लोबल वार्मिंग तथा बदलते मौसम के कारण बाढ़, सूखा, सिंचाई और पेयजल की कमी से जल संकट बढ़ रहा है। वर्षा जल का भंडारण तथा जल संरक्षण की आवश्यकता के कारण सिंचाई और पेयजल को भारत का निर्माण के दो महत्वपूर्ण घटकों के रूप में भारत सरकार द्वारा स्वीकृति दी गई है। अब कई शहरों में वर्षा जल भंडारण पर कार्य चल रहे हैं। इस अवसर पर भी तारीख 28 दिसम्बर 2007 को एक स्मारक डाक टिकट जारी कर डाक विभाग ने इस कार्य में सहयोग किया है। उनका यह योगदान सराहनीय है।
सुख से जीना है तो चार कार्यों के लिए जो भी हो सके हम करें और दूसरों को भी प्रेरित करें। ये काम हैं:-
1. सभी तरह के प्रदूषणों को कम करना।
2. जल संरक्षण तथा भंडारण करें, बेकार बर्बादी रोकें।
3. अपने घरों के चारों ओर खूब पेड़-पौध लगाएं और उन्हें नष्ट होने से बचाएं।
4. पर्यावरण मित्र ईंधन का ही उपयोग करें, बायोडीजल और कम प्रदूषण करने वाले पेट्रोल ही खर्च करें।

-सुरेन्द्र पाल
17-एस 5 फेस, आदर्शनगर, सोनारी
जमशेदपुर (झारखंड)

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